मालेगांव ब्लास्ट केस में ऐतिहासिक फैसला: सभी आरोपी बरी, कांग्रेस का झूठा ‘हिन्दू आतंकवाद’ नैरेटिव ध्वस्त – अजय पाठक

नागपूर – देश की राजनीति में वर्षों तक विवाद और बहस का केंद्र बने मालेगांव ब्लास्ट केस पर आज अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए साफ कहा कि इस पूरे मामले में कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं थे। अदालत ने टिप्पणी की कि यह पूरा केस मनगढ़ंत कहानियों और राजनीतिक षड्यंत्र पर आधारित था तथा निर्दोष लोगों को फंसाने की सुनियोजित कोशिश की गई थी।
महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय पाठक ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए ‘हिन्दू आतंकवाद’ का झूठा नैरेटिव गढ़ा। तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे ने ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी बनाई और हिन्दुओं को बदनाम करने की घिनौनी साजिश रची।”
अजय पाठक ने आगे कहा, “कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जैसे देशभक्तों को झूठे आरोपों में जेल भेजा गया। कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए बहुसंख्यक समाज को आतंकवाद से जोड़ने की शर्मनाक और खतरनाक कोशिश की। आज अदालत के इस फैसले ने कांग्रेस के इस घिनौने षड्यंत्र का पर्दाफाश कर दिया और यह साबित कर दिया कि सच को दबाया नहीं जा सकता।”
उन्होंने इस निर्णय को “सत्य और न्याय की ऐतिहासिक विजय” बताते हुए कहा कि वर्षों तक जेल में रहकर निर्दोषों ने जो पीड़ा सही, उसका आज अंत हुआ है। भाजपा नेताओं ने भी फैसले को लोकतंत्र, न्यायपालिका और सत्य की ताकत की जीत करार दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आने वाले समय में कांग्रेस की साख और विश्वसनीयता पर गहरा असर डालेगा। अदालत का यह आदेश जांच एजेंसियों की निष्पक्षता, राजनीतिक हस्तक्षेप और सत्ता के दुरुपयोग जैसे गंभीर मुद्दों पर भी सवाल खड़े करता है।
यह ऐतिहासिक फैसला उन निर्दोषों के लिए न्याय का प्रतीक है जिन्हें झूठे आरोपों में सालों तक कैद की यातना झेलनी पड़ी। साथ ही, यह निर्णय कांग्रेस द्वारा गढ़े गए झूठे ‘हिन्दू आतंकवाद’ नैरेटिव के पूरी तरह धराशायी होने का प्रमाण भी है।